Thursday, December 16, 2010

बस हकीकत तो अपनी बयां कीजिये...

๑۩๑ ब्रजेन्द् ๑۩۩
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शाम है हँसकर बिता लीजिये
ऐसे डर कर ना गुमसुम रहा कीजिये

क्या पता कल किसे मौत आये
रात भर साथ अपना निभा लीजिये

है कयामत के दीदार की आरज़ू
फिर से चेहरे से घूँघट हटा लीजिये

मुझको कुछ भी मय्यसर हुआ ना सही
आखिरी जAAम हँसकर पिला दीजिये

हम तलबगार होंगे तेरे उम्र भर
बस हकीकत तो अपनी बयां कीजिये...

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*•.¸ ๑۩๑ ब्रजेन्द् ๑۩۩
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