Thursday, December 16, 2010

है दिल फेंक आशिक जमाने बहुत अपने दामन को बचा कर रखिये

है दिल फेंक आशिक जमाने में बहुत,
अपने दामन को बचा कर रखिये...
न ठहर जाये अश्क आँखों में कहीं,
अपनी पलकों को झुका कर रखिये...
ईश्क में मिलती है बस तनहाई यहाँ,
अपने दिल को गुलशन बना कर रखिये...
गम में रोना न पड़ जाये उम्र भर तुझको,
उस सितमगर को मेहमां बना कर रखिये...
बेवफ़ा हैं ये जमाने के रहनुमा सारे,
दिल के आईने में खुद को सजा कर रखिये...
एसा न हो लग जाये चोट दिल पर कोई,
अपने दिल को पत्थर सा बना कर रखिये...
कर देगी बदनाम दुनियाँ की जालिम नजरे,
खुद को दुनियाँ की नजरों से बचा कर रखिये...
 

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