Thursday, December 16, 2010

अरमान हैं खंज़र मेरे, और वक्त उनकी शान;

जिगर जमीन, मेरा दिल है आसमान।
जहाँ भी डाल दूँ डेरा, वहीं मकान।।

हँसी हजार की, है लाखों की मुस्कान;
देता हूँ मुफ्त, अगर मिलें कद्रदान।

गुल है मेरा दिल, मैं हूँ बागवान;
सजाओ इल्म से, मानूँगा एहसान।

आँखों में हैं,ख्वाबों के सैकड़ों तूफान;
साहिल मिलेगा तुमको, ढूँढो कोई उफान।

अरमान हैं खंज़र मेरे,  और वक्त उनकी शान;
तराशो बेरुखी से, पाओ नई पहचान।
 

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