Thursday, December 16, 2010

मेरा सफ़र

नजाने क्यू वक़्त इस तरह चला जाता है .
जो वक़्त बुरा है वो पलट के सामने आता है.
और जिस वक़्त को हम चाहते है ,
वो वक़्त एक लम्हा बनकर बीत जाता है .

ब्रजेन्द्र यादव :---

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