Thursday, December 16, 2010

बीते सफर को एक नज़र देख मैं अपने कदम फिर बढाँउगा।

मैं दो कदम चलता और एक पल को रुकता मगर........... ♡
इस एक पल जिन्दगी मुझसे चार कदम आगे बढ जाती । ♡
मैं फिर दो कदम चलता और एक पल को रुकता और.... ♡
जिन्दगी फिर मुझसे चार कदम आगे बढ जाती । ♡
युँ ही जिन्दगी को जीतता देख मैं मुस्कुराता और.... ♡
जिन्दगी मेरी मुस्कुराहट पर हैंरान होती । ♡
ये सिलसिला यहीं चलता रहता..... ♡
फिर एक दिन मुझे हंसता देख एक सितारे ने पुछा.......... ♡ "
तुम हार कर भी मुस्कुराते हो ! क्या तुम्हें दुख नहीं होता हार का ? " ♡♡
तब मैंनें कहा................ ♡
मुझे पता हैं एक ऐसी सरहद आयेगी जहाँ से आगे ♡
जिन्दगी चार कदम तो क्या एक कदम भी आगे ना बढ पायेगी, ♡
तब जिन्दगी मेरा इन्तज़ार करेगी और मैं...... ♡
तब भी युँ ही चलता रुकता अपनी रफ्तार से अपनी धुन मैं अपना सफ़र तय करूँगा.......♡
एक पल रुक कर, जिन्दगी को देख कर मुस्कुराउगा.......... ♡
बीते सफर को एक नज़र देख अपने कदम फिर बढाँउगा। ♡ ठीक उसी पल मैं जिन्दगी से जीत जाउगा......... ♡
मैं अपनी हार पर भी मुस्कुराता था और अपनी जीत पर भी...... ♡
मगर जिन्दगी अपनी जीत पर भी ना मुस्कुरा पाई थी और अपनी हार पर भी ना रो पायेगी
(दिल की लहरें .•´¨๑۩๑ब्रजेन्द्๑۩๑ )

No comments:

Post a Comment