(¨`•दिल की लहरें .•´¨)
Monday, February 7, 2011
उसके पलकों से अश्को को चुरा रहा था मैं
उसके पलकों से अश्को को चुरा रहा था मैं ,
उसके हर गम को खुशियों से सजा रहा था मैं .
जलाया उसी दिये ने मेरे हाथो को ,
जिसकी लो को हवाओ से बचा रहा था मैं..
๑۩๑ ब्रजेन्द् ๑۩๑
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