(¨`•दिल की लहरें .•´¨)
Friday, July 8, 2011
गिला नही ज़िन्दगी से मुझको कोई खोया वो जो कभी पाया ही नही था
मिलती भी मंजिल कैसे इस पागल दिल को छुना चाहा वो मुकाम जिसका रास्ता ही नहीं था |
ब्रजेन्द्र
1 comment:
शिप्रा पाण्डेय "शिप"
August 25, 2011 at 9:31 PM
behad bhawnatmak lekhan....
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behad bhawnatmak lekhan....
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