Wednesday, July 27, 2011

ठुकरा के उसने  हमे  हसने  को  कहा हम हस दिए सवाल उसकी खुशी का था
हमने वो खोया जो कभी हमारा न था पर उसने वो खोया जो सिर्फ उसी का था |


 ๑۩๑ब्रजेन्द्๑۩๑

Tuesday, July 26, 2011

"मंजिल तो मिल ही जायेगी भटक कर ही सही, गुमराह तो वो हैं जो घर से निकला ही नहीं करते |

ब्रजेद्र यादव

Friday, July 8, 2011

गिला  नही ज़िन्दगी से मुझको कोई खोया वो जो कभी पाया ही नही  था
मिलती भी मंजिल कैसे इस पागल  दिल को छुना चाहा वो मुकाम जिसका रास्ता ही नहीं था |


ब्रजेन्द्र

उसकी याद मे हम बरसो रोते रहे

उसकी  याद  मे  हम  बरसो  रोते  रहे  बेवफा  वो निकले  बदनाम  हम होते  रहे
मोहब्बत  में  मदहोशी  का  आलम  तो  देखिये  धुल  चेहरे  पर  थी  और  हम  आइना  धोते रहे |


ब्रजेन्द्र