(¨`•दिल की लहरें .•´¨)
Monday, December 17, 2012
जिन्दगी की उदास रातोँ मेँ, इक दीया अब भी टिमटिमाता है। ऐ-वक़्त! करदे उसे भी गुल, ढल चुकी रात, अब कौन आता है?
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