चंद कागजो के टुकडो पर
चंद अल्फझो मे सिमटने
लगी जिन्दगी
क्या इतनी छोटी सिमट
के रह गई जिन्दगी
गमो को ही क्यूँ
पि कर रह गई जिन्दगी
खुशियो ने दामन बीच मजधार
क्यों छोडा जिन्दगी
जिसे पूजा जिसे चाह
फिर क्यूँ उसने भी
विस्वास तोडा जिन्दगी
चलो अच्हा ही''ब्रजेन्द्'' जो चंद
लफ्जो मे सिमट गई जिन्दगी
**(*•.¸(`•.¸ ¸.•´)¸.•*)**
*•.¸ ๑۩๑ ब्रजेन्द् ๑۩۩
**(¸.•´(¸.•* *•.¸)`•.¸)**
चंद अल्फझो मे सिमटने
लगी जिन्दगी
क्या इतनी छोटी सिमट
के रह गई जिन्दगी
गमो को ही क्यूँ
पि कर रह गई जिन्दगी
खुशियो ने दामन बीच मजधार
क्यों छोडा जिन्दगी
जिसे पूजा जिसे चाह
फिर क्यूँ उसने भी
विस्वास तोडा जिन्दगी
चलो अच्हा ही''ब्रजेन्द्'' जो चंद
लफ्जो मे सिमट गई जिन्दगी
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*•.¸ ๑۩๑ ब्रजेन्द् ๑۩۩
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